एक थी तमन्ना मेरे दिल को
जिसे न पूरी मैं कर पाई
आज अचानक ही मुझको क्यों
भूली बिसरी याद आई
जितना सच आज है मेरा
उतनी है इसमें सच्चाई
क्या नाम मैं दें दूं इसको
निर्णय नहीं ये कर पाई
जितना सच आज है मेरा
उतनी है इसमें सच्चाई
क्या नाम मैं दें दूं इसको
निर्णय नहीं ये कर पाई
मैं ही इसकी रचयीता
मैं हूं इसकी अभिनेत्री
ये उतनी पावन पवित्र है
जितनी गंगा व गंगोत्री
मन में उठती आंधी तूफान
खुद ही थम गयी जैसे
जाने ये झंझावात मेरे
अंतरमन मे बसी कैसे
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