सोमवार, 20 जुलाई 2015

शून्य

वह शून्य भी तो सत्य है
 जो कुछ बयां नहीं करता
वह चांद भी तो सुंदर है
जिसे कोई छू नहीं सकता
जिंदगी भी वैसी ही
 एक अनोखी शून्य है
 आधी अधूरी कथा होकर
भी वो खुद में पूर्ण है
कुछ न कहके शून्य हमसे
सबकुछ कहता चुप ही रहके
अपनी पूर्णता का  प्रमाण
दे जाता वह मौन बनके
शून्य पृथ्वी शून्य आकाश
शून्य जीवन का तपास
शून्य ही सम्पूर्ण है
बाकि सब बस है आभास

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